शुक्रवार, 4 दिसंबर 2009

राम और अल्लाह दोनो परेशान हैं

आज प्रभु श्रीराम के अचानक दर्शन हो गये,आपको अजीब लग रहा होगा । लेकिन ये सच है,किस्सा कुछ यूं है कि आज दफ्तर में मेरे हिस्से का काम कुछ कम था,तो मैने सोचा चलो पेट पूजा कर ली जाए । कैंटीन में तृप्त होने के बाद अचानक मन से आवाज निकली की हे राम आज ज्यादा खा लिया ।बात मन से निकल कर मन में दफन भी नहीं हुई होगी सामने प्रभु को पाया । श्याम वर्ण,हाथों में धनुष,कमल नयन लेकिन चेहरे पर चिंता की लकीरे । मैं तो दर्शन पा कर निहाल,फील गुड महसूस होने लगा । बड़े-बड़े साधु महात्मा और दानी कहां-कहां नहीं ढूंढते प्रभु को लेकिन ये तो मिलते ही नहीं । दिल से आवाज आई की पकड़ लो पांव और बन जाओ मुकेश अंबानी,बाकी देखा जाएगा । अचानक कानों में कातर आवाज पहुंची की बोलो क्यों बुलाया,मैने कुछ मांगना चाहा लेकिन पूछ बैठा कि प्रभु आप यहां ।प्रभु झल्लाये,बोले यार मैं संसद के पास ही घूम रहा था,तुमने पुकारा तो यहां चला आया । मैने कहां प्रभु आप को तो अयोध्या में होना चाहिए,संसद क्यों पहुंचे । उत्तर मिला पगलेट हो क्या बे,टी.वी. और अखबार पढ़ना देखना छोड़ दिया है क्या....पत्रकार बनते हो साले..खबर कुछ पता नहीं...प्रभु अनवरत जारी थे...बोले वो लिब्राहन आयोग की रिर्पोट पेश हुई है ना भाई वही सुनने आया था...लेकिन गजब हो गया...बोले मेरा नाम रैलियों में,भाषणों में तो लिया जाता था...मेरे नाम पर खून भी बहाए गए....लेकिन आज तो मेरे नाम पर हाथापाई हो गयी...और वो भी संसद में.. मैने कुछ पूछना चाहा तो फिर नाराज..खुद ही बोले जय श्री राम और या अली के नारे पर अमर सिंह और अहलुवालिया आपस में भिड़ गए...तब मैने पूछा कि प्रभु आपके नाम पर खून बहाए गए...लोगों को बेवकूफ बनाया गया है..तो अगर दो लोग भिड़ ही गए तो परेशानी क्या....बोले...अरे मूर्ख...पहले मेरे नाम राजनीति हुई..नासूमों का खून बहा..लेकिन अब तो राजनेताओं ने हद ही कर दी...अब तो मुझे और मेरे पड़ोसी अली को लड़ाने की तैयारी हो रही है....बोले एक ने मेरा नाम उछाला तो दूसरे ने या अली कहा...प्रभु बेहद चितिंत थे...बोले मेरे यहां भी माहौल कुछ ठीक नहीं चल रहा है... अगर ये बात उपर पहुंची तो वहां का भी माहौल खराब होगा..वहां पर भी कुछ ऐसे लोग हैं जो मेरे और अली के नाम पर हुए इस लड़ाई को भुनाने की कोशिश कर सकते हैं...मैं तो परेशान हुं...बरसों से मारा-मारा फिर रहा हुं..पहले लोगों के दिलों में रहता था..जुबां पर रहता था...पर इन लोगों ने फैलाया कि प्रभु तो अयोध्या में रहते हैं...अयोध्या में रहता था..जब तक राम राज्य था...अब तो सरयू में भी नफरत का पानी फैल चुका है...इसलिए उपर एक नया आशियाना ढूंढा....अली भी पड़ोस में ही रहता है...उसी ने जगह दिलाई है...लेकिन चलो अच्छा हुआ...आज संसद की कार्यवाही देखने अली नहीं आया था...वरना झूट-मूठ का तनाव पैदा होता...बात खत्म भी नहीं हुई थी...की अल्लाह भी आ गए..अब मुझे काटो तो खून नहीं...लगा ये क्या हो गया..प्रभु आराम से उपर रह रहे थे..और अब संसद की लड़ाई इनके पड़ोस की लड़ाई बन जाएगी...लेकिन अल्लाह भी परेशान थे...बोले...मैं भी संसद आया था...सोचा कि 18 साल बाद जांच में आखिर निकला क्या...जो टूटा और बना उससे हमें मतलब नहीं..लेकिन हजारों मासूम हम दोनों के नाम पर मारे गये...शायद उनके दोषियों का पता चलेगा..लेकिन यहां तो अब भी लोग हम दोनों के नाम पर लड़ रहे हैं...अब मेरी बारी थी...कोई मामूली आदमी तो हुं नहीं..सोचा ज्ञान पेल के पत्रकारीय धर्म का पालन कर ही लिया जाए...और बोला दरअसल ये लोग नहीं लड़ रहे हैं..ये भी मासूमों को ही लड़ाने का एक तरीका भर है... प्रभु एक आपके नाम पर कुछ लोगों को साथ खड़ा कर रहा है...तो दूसरा अल्लाह आपके नाम पर..लेकिन परेशान ना होइए...अब लोग जाग गए हैं...इनकी असलियत जान गये हैं...तब प्रभु और अल्लाह एक साथ बोले चलो बढ़िया है...जितनी जल्दी जाग जाएं..उतना ही अच्छा...प्रभु बोले अली देख रहे हो..लोग अब भी हम दोनो को अलग करने की कोशिश में हैं...अल्लाह बोले कोई बात नहीं...ये अब तक हमें जान ही नहीं पाएं हैं....चलो उपर चलते हैं...वहीं ठीक हैं...अयोध्या इन्हीं लोगों के लिए छोड़ दो....आने वाली पीढ़ियां इन्हें सबक सिखाएंगी....और दोनो एक दुसरे का हाथ थामे गायब हो गये....

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